अगर आप “Parkinson’s meaning in Hindi” या पार्किंसंस रोग का अर्थ जानना चाहते है, तो आपको पार्किंसंस रोग के लक्षण पता होने चाहिए.
पर सिर्फ पार्किंसंस रोग के लक्षण जानने से आपकी जानकारी पूरी नहीं होगी. पार्किंसंस रोग का अर्थ पूरी तरह जानने के लिए, पार्किंसंस क्यों होता है ये जानना भी उतना ही जरूरी है.
यह जानकारी अंग्रेजी में कई जगह उपलब्ध है, जैसे यहाँ, पर हिंदी में जानकारी विरल है.
आइये, इन दो चीज़ो के बारे में जानते है.
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पार्किंसंस रोग के लक्षण
पार्किंसंस का अर्थ (Parkinson’s meaning in Hindi) समझने का पहिला कदम.
पार्किंसंस के कई लक्षण होते है. पर आम -तोर पर अगर आप डॉक्टरों से भी पूछो, तो वह भी “हाथ-पांव की कंपन” ये मुख्य बताएँगे.
पर इस कंपन के आलावा, दो और लक्षण बहोत महत्वपूर्ण है.
पार्किंसंस के तीन मुख्या लक्षण |
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१ . हाथ-पांव की कंपन |
२ . सभी कार्य, जैसे चलने-फिरने में धीमापन |
३ . हाथ-पांव में जकड़न या सख्तपन |
आइये इन तीन पार्किंसंस रोग के लक्षणों के बारे में बात करते है. इसके आलावा जो बाकी तकलीफे है, उनके बारे में बाद में बात करेंगे.
१ . हाथ-पांव की कंपन:
पार्किंसंस रोग में हाथ-पांव के हिलने पर नियंत्रण काम हो जाता है.
जब मरीज़ एक जगह पे भी बैठा तो, तो फिर भी उसके हाथ या पांव घडी के लंगर के तरह हिलते है. इस हिलने को अंग्रेजी में ट्रेमर कहते है.
क्योंकि पार्किंसंस में ये हाथ आराम से बैठे होने पे भी हिलते है, इसलिए इस कंपन को अंग्रेजी में “आराम के कंपन” या “रेस्ट ट्रेमर” कहते है.
“आराम की कम्पन” पार्किंसंस का सबसे जाना माना लक्षण है.

लेकिन पार्किंसंस के मरीज़ो के हाथ या पांव कुछ करते हुए भी हिल सकते है. जैसे अगर वो कोई कार्य (action) करने जाए, तो उनके हाथ आगे-पीछे हिल सकते है. इस कम्पन की वजह से, पानी पीना या लिखना मुश्किल हो सकता है.
जब पार्किंसंस की बीमारी शुरू होती है, तब ये कम्पन किसी एक ही पांव या हाथ से शुरू होती है. पर बाद में धीरे-धीरे बढ़ कर बाकी हाथ या पांव में ये फेल सकती है.
थोड़े सालों बाद, अगर इलाज न किया गया, तो पुरे शरीर में कम्पन का असर दिखाई देता है.

२. सभी कार्य, जैसे चलने-फिरने में धीमापन
पार्किंसंस रोग के लक्षणों में, धीमापन शायद कम्पन से भी ज़्यादा तकलीफ दायक है.
धीमापन सभी कार्यो में आ जाता है.
मरीज़ धीमे चलने लगता है. कभी कभी लोग उनका मज़ाक भी उड़ाते है – अरे चाचा! जल्दी चलो ना! कितना धीरे-धीरे चल रहे हो!
ये मज़ाक जायज़ नहीं है. पार्किंसंस के मरीज़ धीमा चलते है, क्योंकि इलाज के बिना, उनकी बीमारी उन्हें तेज़ चलने नहीं देती.

अगर आप ध्यान से देखेंगे, तो ये धीमापन आपको सभी कार्यो में नज़र आएगा – अगर आपको पार्किंसंस है, तो आप का खाना, लिखना, पानी पीना, बात करना, नहाना, कपडे पेहेनना, सभी कुछ धीमा हो जाता है.
इस धीमेपन को अंग्रेजी में “Bradykinesia” (ब्रेडीकायनेसिया) कहते है.
जैसे जैसे बीमारी बढ़ती है, वैसे वैसे ये धीमापन बढ़ने लगता है. अगर पार्किंसंस का इलाज ना किया जाये, तो थोड़े सालों बाद इस धीमेपन के वजह से रोज़ मर्दा की ज़िन्दगी के काम – जैसे नहाना या खुद से कपडे पेहेनना भी मुश्किल हो सकते है.
३. हाथ-पांव में जकड़न या सख्तपन
पार्किंसंस का तीसरा मुख्या लक्षण है हाथ या पांव में जकड़न महसूस होना.
अगर हाथ में जकड़न हो जाये तो लिखना मुश्किल हो सकता है. पर अक्सर जकड़न कंधे के यहाँ ज़्यादा होती है. इसलिए, बल बनाने या कुर्ता पहनने जैसी चीज़े, जिनके लिखे पूरी बाज़ू को सर के ऊपर उठाना पड़ता है, मुश्किल हो जाती है.
अगर पांव में जकड़न होती है, तो आपको ऐसे लगेगा के आपका पांव जमीन से उठाने में तकलीफ हो रही है. हो सकता है के आपके साथी ये बोले के आप चलते समय ज़मीन पे पांव घसीटते है.

यह तीन लक्षण भी Parkinson’s meaning in Hindi या पार्किंसंस का अर्थ जानने में अत्यंत महत्वपूर्ण है.
पर आगे की पूरी कहानी जानना बहोत जरुरी है.
पार्किंसंस का चौथा लक्षण : संतुलन खोना या गिरना
अक्सर डॉक्टर भी पार्किंसंस के इन लक्षणों की तरफ ध्यान देते है. पर पार्किंसंस रोग के लक्षणों में संतुलन खोने का लक्षण बहोत महत्वपूर्ण है.
पार्किंसंस के मरीज़ चलते हुए थोड़ी भी ठोकर लगे तो गिर सकते है.
कभी कभी तो ठोकर इतनी मामूली होती है, जैसे ज़मीन की थोड़ी ऊंच-नीच, के पता ही नहीं लगता के ये गिर कैसे गए.

पार्किंसंस के मरीज़ आसानी से गिर सकते है.इस तरह गिरने से बड़ी चोट या घाव हो सकते है. इसलिए, गिरने से बचना बहोत जरूरी होता है.
अगर गिरने की तकलीफ शुरू हो जाए, तो तुरंत चलते समय छड़ी का उपयोग शुरू करना चाहिए. गिरना रोकने के बाकी अनुदेशों के लिए यहाँ दबाए.
पार्किंसंस रोग के अन्य लक्षण (Other symptoms to understand Parkinson’s meaning in Hindi)
इन ४ मुख्या लक्षणों के आलावा, पार्किंसंस के कई और लक्षण होते है. निचे दिए हुए आदमी को देखिये.
पार्किंसंस के थोड़े मरीज़ो में इन अन्य लक्षणों में से कोई भी तकलीफ नहीं होती. और थोड़े मरीज़ो को ये और इसके जैसे अनेक अन्य तकलीफे होती है.

पार्किंसंस के अन्य लक्षण |
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१ . चेहरे के हाव-भाव खो जाना. चेहरे पर हसी-दुःख का भाव खो जाना |
२. पालक झपकना बहोत कम या बंद हो जाना |
३. आवाज़ बहोत धीमी हो जाना |
४. चलते समय आगे जुक्के चलना |
५. चलते समय बिना हाट हिलाये, रोबोट की तरह चलना |
६. ज़मीन पर पांव घसीट घसीट कर चलना. |
७. सख्त कब्ज हो जाना |
८. सूंघने की शक्ति काम हो जाना |
इत्यादि… |
पार्किंसंस रोग में सोचने की भी तकलीफ हो सकती है. इसे डेमेंटिया कहते है. इसके बारे में “डेमेंटिया इन हिंदी” नामक वेबसाइट ने अच्छी जानकारी दी है.
पार्किंसंस रोग का कारण (Parkinson’s Meaning in Hindi पूरी तरह से समझे)
Parkinson’s Meaning in Hindi, या पार्किंसंस का अर्थ जानने के लिए ये क्यों होता है ये जानना भी जरूरी है.
हमारे दिमाग के पिछले वाले हिस्से में, “मिड-ब्रेन” नाम की जगह होती है.
मिडब्रेन की पेशियाँ “डोपामिन” नाम के रसायन बनती है.
ये डोपामिन रसायन बहुमूल्य है. मिडब्रेन ये रसायन दिमाग के आगे वाले हिस्सों को भेजता है. डोपामिन इन आगे वाले हिस्सों को काम करने में मदत करता है – जिससे ये हिस्से अपने चलने-प्फिरने पर पूरी तरह से नियंत्रण रख पाए.

पार्किंसंस रोग का मरीज़ो में ये डोपामिन बनाने वाली ये पेशियाँ धीरे-धीरे मरने लगती है. ऐसा क्यों होता है, ये कोई नहीं जानता.
पेशियाँ मर जाने के कारण, दिमाग के आगे वाले हिस्सों को काम डोपामाइन मिलता है. डोपामिन की कमी के कारण दिमाग अपना संतुलन खो बैठता है – खास तोर पर, चलने-हिलने पर दिमाग का नियंत्रण खो जाता है.

डोपामिन की कमी के कारण, जो चलना-फिरना अनियंत्रित हो जाता है उस बीमारी के बारे में हम बात कर रहे है.
इसी बीमारी को डॉक्टरों ने पार्किंसंस का नाम दिया है.
क्या पार्किंसंस रोग अनुवांशिक होता है?
आम तोर पर, पार्किंसंस रोग अनुवांशिक नहीं होता.
थोड़े लोगो में, ५% से भी काम, लोगो में ये अनुवांशिक हो सकता है.

फिर पेशियाँ क्यों मरती है? डोपामिन काम क्यों होता है?
अफ़सोस, के इन गेहरे सवालों का जवाब अभी हमे पूरी तरह से नहीं पता. पर इन सवालों पर दुनिया भर के कई वैज्ञानिक संशोधन कर रहे है.
ये जवाब जल्द ही उभर कर आएंगे.
संक्षेप में – पार्किंसंस का अर्थ:
१. Parkinson’s Meaning in Hindi, या पार्किंसंस का अर्थ जानने के लिए पार्किंसंस रोग के लक्षण, और पार्किंसंस का कारण दोनोही जानना जरूरी है.
२. तीन पार्किंसंस रोग के लक्षण सबसे महत्वपूर्ण है: हाथ-पांव की कम्पन, सारे कार्यो में धीमापन, और शरीर का सख्तपना.
३. पार्किंसंस की कम्पन बैठे-बैठे भी होती रहती है, इसलिए इसको “आराम-कम्पन” या अंग्रेजी में “रेस्ट-ट्रेमर” (rest-tremor) कहते है.
३. लेकिन गिरना, आगे जुखके चलना, हाव-भाव खो जाना ये भी पार्किंसंस के ही लक्षण है.
४. पार्किंसंस का कारण है दिमाग में “डोपामिन” नाम के रायसेन की कमी.
चेतावनी: यह जानकारी केवल शिक्षण के लिए है. निदान और दवाई देना दोनों के लिए उचित डॉक्टर से स्वयं मिले। उचित डॉक्टर से बात किये बिना आपकी दवाइयां ना ही बढ़ाये ना ही बंद करे!! |
![]() डॉ सिद्धार्थ खारकरडॉ सिद्धार्थ खारकर न्यूरोलॉजिस्ट, मिर्गी (एपिलेप्सी) विशेषज्ञ और पार्किंसंस विशेषज्ञ है। उन्होंने भारत, अमेरिका और इंग्लॅण्ड के सर्वोत्तम अस्पतालों में शिक्षण प्राप्त किया है। विदेश में कई साल काम करने के बाद, वह भारत लौटे ,औरअभी मुंबई महरारष्ट्र में बसे है। संपर्क करें >>> |